जैसे ही किसी अभिव्यक्ति से समस्त प्रयास लुप्त हो जाता है, सारी चीज़ बहुत सरल हो जाती है, खिलते हुए फूल की तरह सरल जो बिना शोर मचाये, बिना प्रचण्ड इंगितों के अपनी सुंदरता को प्रकट करता और सुगंध को फैलाता है। और इस सरलता में बड़ी-से-बड़ी शक्ति होती है, ऐसी शक्ति जो कम-से-कम मिश्रित होती है और कम-से-कम हानिकर प्रतिक्रियाओं को जगाती है। …

सरलता, सरलता ! ‘तेरी उपस्थिती’ की शुद्धि कितनी मधुर है! …

संदर्भ : प्रार्थना और ध्यान 

शेयर कीजिये

नए आलेख

असंतुष्ट

मधुर माँ, अगर मैं अपने सारे जीवन और उसकी परिस्थितियों पर नज़र डालूँ तो मैं…

% दिन पहले

भगवान की अभिव्यक्ति

भगवान स्वयं मार्ग पर चल कर मनुष्यों को राह दिखाने के लिए मनुष्य का रूप…

% दिन पहले

ज्योति का दर्शन

कुछ लोगों को श्रीमां के चारों ओर ज्योति आदि के दर्शन होते हैं पर मुझे नहीं…

% दिन पहले

पूर्णता

पूर्णता कोई निष्क्रिय स्थिति नहीं होती, यह एक प्रकार की संतुलन की अवस्था होती है;…

% दिन पहले

परस्पर विरोधी विचार

अधिकतर मनुष्य — केवल अशिक्षित ही नहीं बल्कि पढ़े-लिखे भी —अपने सिरमें बहुत ही विरोधी,…

% दिन पहले

अहंकार

अहंकार नाराज़ और बेचैन हो उठता है और यही अहंकार तुम्हारी चेतना को धुँधला बनाता…

% दिन पहले