हृदय में शांति और मन में प्रकाश से भरपूर, हे प्रभु, हम तुझे अपने अंदर ऐसा सजीव महसूस करते हैं कि हम सब घटनाओं के प्रति प्रसन्नता तथा समता अनुभव करते हैं। हम जानते हैं कि तेरा पथ सर्वत्र है क्योंकि हम इसे अपनी सत्ताके अंदर धारण किये हुए हैं। हम यह भी जानते है कि सब परिस्थितियों में हम तेरे संदेश के वाहक और तेरे कार्य के सेवक बन सकते हैं।
एक स्थिर और पवित्र भक्तिभाव के साथ हम तेरे आगे नतमस्तक होते है और तुझे अपनी सत्ताके एकमात्र सत्यके रूपमें अंगीकार करते हैं।
सन्दर्भ : प्रार्थना और ध्यान
यदि तुम घोर परिश्रम न करो तो तुम्हें ऊर्जा नहीं मिलती, क्योंकि उस स्थिति में…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
उनके लिये कुछ भी मुश्किल नहीं है जो भगवान को सच्चाई के साथ पुकारते हैं…
मधुर माँ , जब कोई नया आदमी आकर पूछें कि श्रीअरविंदआश्रम क्या हैं, तो हम…