श्रीमाँ की अलौकिक कहानी

भूतकाल का रूपांतरण

हमारा भूतकाल चाहे जो भी रहा हो, हमने चाहे जो भी भूलें की हों, हम चाहे जितने अज्ञान में क्यों…

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फटी क़मीज़

१ : उन दिनों की बात है जब श्रीमाँ साधकों को अपने कर कमलों से सूप वितरित करती थी। एक…

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अश्विनी कुमार

स्वर्गीय श्री पृथ्वीसिंह नाहर ने बताया, "एक दिन निद्रा की स्थिति में मुझे अचानक अपने ह्रदय में कुछ बेचैनी और…

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चोरी की आसुरी शक्ति

स्वर्गीय उदय सिंह नाहर जब आश्रमवासी हुए तब उनकी आयु बहुत कम थी किंतु शीघ्र ही श्रीमाँ ने उन्हें अपने…

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श्रीमाँ के पास

जब श्रीमाँ सामूहिक ध्यान कराती थीं, उदाहरण के लिये आश्रम की क्रीड़ास्थली में, उस समय उनके चतुर्दिक एकत्रित लोगों के…

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व्यायाम का महत्व

आश्रम में प्रायः सभी साधक एक-दो घंटे व्यायाम करते हैं। स्वर्गीय परिचंद एक विद्वान व्यक्ति थे और अध्ययन के बहुत…

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डाँटो मत

दस वर्ष का चेला बहुत शरारती था। एक बार उसने आश्रम की क्रीड़ाभूमि में एक छोटी बालिका के हाथ से…

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प्रेम का जाल

दीर्घ प्रतीक्षा के बाद आखिरकार वह क्षण आ ही गया जब चमनलाल की अभीप्सा पूरी हुई और वे प्रथम बार…

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भागवत आर्लिंगन

एक बार एक महिला श्रीमाँ के दर्शन करके उनके कक्ष से बाहर आयीं। वे भागवत प्रेम से अभिभूत थी। हृदय…

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कितनी मधुरता

जब भक्त लोग श्रीमाँ के दर्शन को जाते थे तो उनके दिव्य रूप और माधुरी के प्रभाव से सुध-बुध खो…

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