अत्यंत प्रचंड आंधी-तूफानमें भी दो चीजें अडोल बनी रहती हैं : यह संकल्प कि सब लोग वास्तविक प्रसन्नता- तेरी प्रसन्नता प्राप्त करके सुखी हों, और यह तीव्र आकांक्षा कि मैं तेरे साथ संपूर्ण रूप में युक्त हो जाऊं, एकरूप बन जाऊं…। बाकी सब चीजें शायद अभी भी किसी प्रयास के कारण या दावे के फलस्वरूप प्राप्त हुई हैं, बस यही है सहज-स्वाभाविक और अचल-अटल; और जिस समय ऐसा प्रतीत होता है कि मेरे पैरों के नीचे से पृथ्वी सरक रही है और सब कुछ भूमिसात् हो रहा है उस समय भी यह चीज ज्योतिर्मय, विशुद्ध तथा शांत रूपमें दिखायी देती है, ‘सभी बादलोंको विदीर्ण करती है, समस्त अंधकार को तिरोहित करती है, समस्त भग्नावशेष के भीतरसे और भी अधिक महान् तथा और भी अधिक शक्तिमान् होकर निकल आती है और अपने अंदर तेरी अनंत शांति तथा परमानंद को वहन करके ले जाती है।
सन्दर्भ : प्रार्थना और ध्यान
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…