रहस्य ज्ञान

रहस्य-ज्ञान-१५

संकुचित अनुभव की एक संकीर्ण झालर सम इस जीवन को जो हमारी बांट में आया है, पीछे छोड़ देते हैं,…

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रहस्य-ज्ञान-१४

मन जिसे जानता नहीं था ऐसे सत्य ने अपना मुख प्रकटा दिया तब हम वह श्रवण कर सकते हैं, जो…

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रहस्य-ज्ञान – १३

वर्तमान में हम जो देख पाते हैं वह आने वाली भावी की एक छाया मात्र है। संदर्भ : "सावित्री"

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रहस्य-ज्ञान – १२

हमारे अन्तर में एक आकारहीन स्मृति अभी तक चिपकी है औ’ कभी-कभी, जब हमारी द़ृष्टि अन्तर्मुखी होती है, पार्थिवता का…

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रहस्य-ज्ञान – ११

उन घड़ियों में जब अन्तर के प्रकाश दीप जल उठते हैं और इस जीवन के प्राणप्रिय अतिथि बाहर छूट जाते…

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रहस्य-ज्ञान – १०

हमने जो सब सीखा है एक शंका भरे अनुमान जैसा है सब सफलताएं एक पथ या एक अवस्था सम दीखती…

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रहस्य-ज्ञान – ९

पृथ्वी की पंखदारी कल्पनाएं स्वर्ग में सनातन सत्य के अश्व हैं, आज की असम्भावना भावी पदार्थों के भागवत संकेत हैं।…

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रहस्य-ज्ञान – ८

हम अज्ञात से बाहर निकलते हैं, अज्ञात में लौट जाते हैं। संदर्भ : "सावित्री"

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रहस्य ज्ञान – ७

अपने अन्तर में हम सतत एक जादुई चाबी छिपाये रहते हैं यह जीवन के प्राण-रुद्ध एक खोल में बन्द है।…

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रहस्य ज्ञान – ६

हमारी बाहरी घटनाओं के कारण-बीज हमारे अन्तर में हैं, और इस उद्देश्यहीन दैवनियति का भी है जो विधि के संयोगसम…

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