श्रीअरविंद के वचन

रहस्य ज्ञान – ५

हमारे जीवनों के रूप का आकार गढ़ने वाली ये घटनाएं अवचेतना के स्पन्दनों की एक शून्यमात्र हैं जिन्हें हम कदाचित्…

% दिन पहले

रहस्य ज्ञान – ४

हमारा क्षेत्र बहिर्मुखी तात्कालिकता का है, और मृत भूतकाल हमारी पृष्ठभूमि तथा आधार है; मन अन्तरात्मा को बन्दी बना रखता…

% दिन पहले

रहस्य ज्ञान – ३

इस परिपूर्ण शक्ति-चाप के अन्दर हमारा सीमित क्षेत्र निश्चित है हमारे निरीक्षण और स्पर्श बोध की तथा विचार के अनुमान…

% दिन पहले

रहस्य ज्ञान – २

उसके विवेक कीसाथिन एक संघर्ष-रत अविद्या है: अपने कर्मों का परिणाम देखने की वह प्रतीक्षा करता है, अपने विचारों की…

% दिन पहले

रहस्य ज्ञान – १

सृष्टि का स्वामी हमारे अन्तर में छिपा बसता है और अपनी आत्म चित्शक्ति के साथ लुका-छिपी खेलता है; रहस्यमय परमेश्वर…

% दिन पहले

निमंत्रण – श्रीअरविंद की कविता

तीव्र झंझावात और तूफ़ानी मौसम के थपेड़ों के बीच होकर मैं चल पड़ा पहाड़ी की छोटी और बीहड़ भूमि पर…

% दिन पहले

भगवान

समस्त अधो जगत में व्याप्त है तू, जो , फिर भी बैठा ऊपर दूर परे ; कर्मी, शासक, ज्ञानी, सबका…

% दिन पहले

व्यर्थ के विचारों से मुक्ति – १

प्रश्न -कार्य के समय व्यर्थ के विचार घुस आतें है और बाहरी और भीतरी सत्ताओं के संपर्क में बाधा डालते…

% दिन पहले

बंदीगृह और ध्यान-मंदिर

" जब मैं 'अज्ञान' में सोया पड़ा था, तो मैं एक ऐसे ध्यान-कक्ष में पहुंचा जो साधू-संतों से भरा था…

% दिन पहले

श्री अरविंद गायत्री मंत्र – जोया मित्तर

  तत्सवितुर्वरं रूपं ज्योतिः परस्य धीमहि | यन्नः सत्येन दीपयेत् ||

% दिन पहले