कुछ लोगों को श्रीमां के चारों ओर ज्योति आदि के दर्शन होते हैं पर मुझे नहीं होते। मेरे अन्दर क्या रुकावट…
दिव्य जीवन की ओर आरोहण ही मानव यात्रा है, कर्मों का 'कर्म' और स्वीकार्य 'यज्ञ' है। जगत में मनुष्य का…
यह कब कहा जा सकता है कि व्यक्ति आन्तरिक रूप से माँ की वाणी सुनने को तैयार है? जब व्यक्ति…
मेरा सत्य वह है जो अज्ञान और मिथ्यात्व को अस्वीकार करता है और ज्ञान की ओर अग्रसर होता है, अंधकार…
प्रत्येक साधक नैसर्गिक रूप से कुछ ऐसी चारित्रिकताएँ लिए होता है जो साधना पथ पर बड़ी बाधा उपस्थित करती है,…
भगवान् के साथ जो तुम्हारा सम्बन्ध है उसमें तुम्हारा ध्यान इस बात पर नहीं होना चाहिये कि भगवान् तुम्हारी व्यक्तिगत…
अगर तुम्हारी श्रद्धा दिनादिन दृढ़तर होती जा रही है तो निस्सन्देह तुम अपनी साधना में प्रगति कर रहे हो .…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह सीमित करने वाली, बंधनकारी, तमाच्छादित…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम धीरज के साथ इसके लिए…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो जाती है वही से शुरू…