नलिनी कांत गुप्त की नववधू इन्दुलेखा आश्रम आईं। यह उन दिनों की बात है जब श्रीअरविंद ने एकांतवास आरम्भ नहीं…
श्रीअरविंद के देहत्याग के बाद श्रीमाँ ने उस कक्ष में से दर्शन देना बन्द कर दिया जिसमें वे श्रीअरविंद के…
यह लगभग तीन दशक पूर्व की बात है। मुझे रह-रहकर बहुत मानसिक पीड़ा होती थी कि मुझे कभी श्रीअरविंद के…
एक बार कृष्णा आदिनाथ ने स्वप्न में श्रीअरविंद के दर्शन किये । उस समय वे तरुण लग रहे थे, दाढ़ी…
एक बार बीरेन के एक मित्र आश्रम आए। वे बीरेन के लिए बर्मा टीक की एक आराम कुर्सी बनवा कर…
आश्रम के एक साधक विश्वजीत ताल्लुकदार को साधु-संतों से मिलने का बहुत शौक था। अतः वे प्रतिवर्ष भारत भ्रमण करके…
श्रीअरविंद के एक शिष्य बापालाल एक भूतहे घर में रहते थे। उस घर में रहने वाला शैतान भूत अक्सर घर…
युग बदलते हैं और परिस्थितियों में परिवर्तन के साथ नए आदर्शों और नए मंत्रों की आवश्यकता होती है। प्रभु पुनः…
२६ नवम्बर १९२६ को श्रीअरविंद ने अपने कक्ष में एकांतवास आरंभ कर दिया। इसके बाद वे आरंभ में वर्ष में…
श्रीअरविंद थे परम करुणामय। वे पशु-पक्षियों तक की सुविधा-असुविधा का ध्यान रखते थे। कभी-कभी एक बिल्ली आकार आराम से उस…