श्रीअरविंद की अलौकिक कहानी

भय मन में होता हैभय मन में होता है

भय मन में होता है

नलिनी कांत गुप्त की नववधू इन्दुलेखा आश्रम आईं।  यह उन दिनों की बात है जब श्रीअरविंद ने एकांतवास आरम्भ नहीं…

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श्रीअरविंद के दर्शनश्रीअरविंद के दर्शन

श्रीअरविंद के दर्शन

श्रीअरविंद के देहत्याग के बाद श्रीमाँ ने उस कक्ष में से दर्शन देना बन्द कर दिया जिसमें वे श्रीअरविंद के…

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प्रभु द्वारा लिखित कुछ …प्रभु द्वारा लिखित कुछ …

प्रभु द्वारा लिखित कुछ …

यह लगभग तीन दशक पूर्व की बात है। मुझे रह-रहकर बहुत मानसिक पीड़ा होती थी कि  मुझे कभी श्रीअरविंद के…

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पश्चिमी पोशाक मेंपश्चिमी पोशाक में

पश्चिमी पोशाक में

एक बार कृष्णा आदिनाथ ने स्वप्न में श्रीअरविंद के दर्शन किये । उस समय वे तरुण लग रहे थे, दाढ़ी…

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एक कुर्सीएक कुर्सी

एक कुर्सी

एक बार बीरेन के एक मित्र आश्रम आए। वे बीरेन के लिए बर्मा टीक की एक आराम कुर्सी बनवा कर…

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श्रीअरविंद मेरे गुरु हैंश्रीअरविंद मेरे गुरु हैं

श्रीअरविंद मेरे गुरु हैं

आश्रम के एक साधक विश्वजीत ताल्लुकदार को साधु-संतों से मिलने का बहुत शौक था। अतः वे प्रतिवर्ष भारत भ्रमण करके…

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भुतहा घरभुतहा घर

भुतहा घर

श्रीअरविंद के एक शिष्य बापालाल एक भूतहे घर में रहते थे। उस घर में रहने वाला शैतान भूत अक्सर घर…

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श्रीअरविंद की गायत्रीश्रीअरविंद की गायत्री

श्रीअरविंद की गायत्री

युग बदलते हैं और परिस्थितियों में परिवर्तन के साथ नए आदर्शों और नए मंत्रों की आवश्यकता होती है। प्रभु पुनः…

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प्रभु की मुस्कानप्रभु की मुस्कान

प्रभु की मुस्कान

२६ नवम्बर १९२६ को श्रीअरविंद ने अपने कक्ष में एकांतवास आरंभ कर दिया। इसके बाद वे आरंभ में वर्ष में…

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पशु-पक्षियों के प्रति अनुकम्पापशु-पक्षियों के प्रति अनुकम्पा

पशु-पक्षियों के प्रति अनुकम्पा

श्रीअरविंद थे परम करुणामय। वे पशु-पक्षियों तक की सुविधा-असुविधा का ध्यान रखते थे। कभी-कभी एक बिल्ली आकार आराम से उस…

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