श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

शिष्य की प्रार्थना

मेरी प्यारी माँ,

मेरा हृदय तुम्हारें चरणों की  ओर दौड़ना चाहता है और अपने-आपको तुम्हारे अन्दर खो देना चाहता है । मैं यही चाहता हूँ, लेकिन क्या मैंने यह कर लिया है ? मैं तुम्हारे हृदय के निकट होना चाहता हूँ, मैं चाहता हूँ … पर क्या यह संभव है ? मुझे पता नहीं ?

मुझे शांत करो, मुझे अपनी दिव्य उपस्थिती का रस प्रदान करो । 

 

हाँ, मेरे प्यारे बच्चे, यह पूरी तरह सम्भव है और चूंकि तुम सच्चाई के साथ यह चाहते हो इसलिए ऐसा हो जायेगा। तुम अपने-आपको हमेशा मेरे हृदय के निकट, मेरी भुजाओं में झूलते हुए अनुभव करोगे। और शांति तुम्हारी सत्ता को भर देगी और तुम्हें मजबूत और आनन्दपूर्ण बनायेगी ।

तुम्हारी माँ की ओर से प्यार।

 

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवान के दो रूप

... हमारे कहने का यह अभिप्राय है कि संग्राम और विनाश ही जीवन के अथ…

% दिन पहले

भगवान की बातें

जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…

% दिन पहले

शांति के साथ

हमारा मार्ग बहुत लम्बा है और यह अनिवार्य है कि अपने-आपसे पग-पग पर यह पूछे…

% दिन पहले

यथार्थ साधन

भौतिक जगत में, हमें जो स्थान पाना है उसके अनुसार हमारे जीवन और कार्य के…

% दिन पहले

कौन योग्य, कौन अयोग्य

‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…

% दिन पहले

सच्चा आराम

सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…

% दिन पहले