मेरी प्यारी माँ, मेरे अन्दर से उस समस्त अंधकार को निकाल दो जो मुझे अन्धा बना देता है और हमेशा मेरे साथ रहो ।
मैं तुम्हारे हर विचार और हर अभीप्सा में हूँ जिसे तुम मेरी ओर मोड़ते हो। अगर तुम हमेशा मेरी चेतना में उपस्थित न होते तो तुम कभी मेरे बारे में सोच ही न पाते। इसलिए तुम मेरी उपस्थिती के बारे में निश्चित हो सकते हो। मैं अपने आशीर्वाद जोड़ती हूँ ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…