तुम्हारी मान्यताएँ


श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ

अपनी मान्यता को साथ रखो यदि तुमको  यह लगता हो कि वह तुम्हारें जीवन के निर्माण में सहायक है ; पर समझ लो कि यह सिर्फ एक मान्यता है तथा दूसरी मान्यताएँ भी इतनी ही अच्छी और यथार्थ है जितनी कि तुम्हारी।

संदर्भ : माताजी का एजेंडा (भाग-१)


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