तुम्हारी दिलचस्पी


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

वास्तविक तथ्य यह है कि विश्व में जिस चीज़ में तुम्हारी दिलचस्पी है – सीधे या घुमावदार रूप में, वह तुम स्वयं हो। यही कारण है कि तुम स्वयं को इतनी तंग और घुटन भरी सीमाओं में कैद पाते हो।

संदर्भ : माताजी का एजेंडा (भाग-१)


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