आसक्ति


श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ

सभी प्रकार की आसक्ति साधना में बाधक होती है । सबके कल्याण की कामना, सब के लिए अंतरात्मा की दया का होना तो ठीक है, पर किसी प्रकार की प्राणगत आसक्ति नहीं होनी चाहिये।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र


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