जब कोई विशेष कार्य करना होता है तब अवतार की आवश्यकता होती है। अवतार विशेष अभिव्यक्ति होते हैं जब कि…
प्रकृति के जिस दिव्यीकरण की बात हम कर रहे हैं वह पूरी तरह से काया-पलट है - न केवल किसी…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिसमें अनुभूति पाने की कुछ क्षमता…
मनुष्य-जीवन के अधिकांश भाग की कृत्रिमता ही उसकी अनेक बुद्धमूल व्याधियों का कारण है, वह न तो अपने प्रति सच्चा…
सब कुछ माताजी पर छोड़ देना, पूर्ण रूप से उन्ही पर भरोसा रखना और उन्हें लक्ष्य की ओर ले जाने…
तुम्हें बस शान्त-स्थिर और अपने पथ का अनुसरण करने में दृढ़ बनें रहना है और तुम अन्त तक पहुँच जाओगे।…
भगवान हमें जो दु:ख देता हैं उसके चार स्तर होते हैं : (१) जब वह केवल दु:ख ही होता है…
भगवान जब बुरी-से-बुरी परीक्षा लेते हैं तब वह अच्छे-से-अच्छा पथ दिखाते हैं, जब वह कठोरतापूर्वक दण्ड देते है तब वह…
इन मायावी वनों में एक देवशिशु खेल रहा है, आत्मभाव की धाराओ के तट पर बंशी बजाता रसमाधुरी बहा रहा…
स्वाभाविक है कि महानतर अनुभूतियाँ होने पर सत्ता उल्लासित हो उठती है, साथ-ही-साथ उसमें अद्भुतता तथा चमत्कार का भाव भी…