स्वाधीनता बाहरी परिस्थितियों से नहीं , आंतरिक मुक्ति से आती है । अपनी अंतरात्मा को खोजो, उसके साथ एक हो…
तुम्हें अकेलापन इसलिये लगता है क्योंकि तुम्हें प्रेम की आवश्यकता मालूम होती है। बिना किसी मांग के प्रेम करना सीखो,…
तुम उस प्रेम से खुश नहीं होते जो कोई और तुम्हारे लिए अनुभव करता है। तुम्हें औरों के लिए जो…
'भागवत उपस्थिति' दिन-रात सतत मौजूद है । चुपचाप अन्दर की ओर मुड़ना काफी है और हम उसे पा लेंगे ।…
कभी मत बुड़बुड़ाओ । जब तुम बुड्बुड़ाते हो तो तुम्हारे अन्दर सब तरह की शक्तियां घुस जाती हैं और तुम्हें…
तुम्हें हमेशा पूरी-पूरी सहायता दी जाती है, लेकिन तुम्हें उसे अपने बाहरी साधनों द्वारा नहीं बल्कि अपने हृदय की नीरवता…
तुम जो कुछ भी करो वह उपयोगी हो उठता है यदि तुम उसमें सत्य-चेतना की एक चिंगारी रख दो। तुम…
अगर तुम तकलीफ के बारे में सोचते ही रहोगे तो वह बढ़ती चली जायेगी । अगर तुम उस पर केन्द्रित…
भगवान् भले ही तुम्हारी ओर झुक आयें परन्तु 'उन्हें ' ठीक तरह समझने के लिए तुम्हें 'उन' तक उठना होगा ।…
डरने की कोई बात नहीं है- सब कुछ 'परम प्रभु' हैं-- 'परम प्रभु' के सिवाय और कुछ नहीं है; एकमात्र…