शूरता है सभी परिस्थितियों में परम सत्य के लिए डटे रह सकना, विरोध में भी उसकी घोषणा करना और जब कभी आवश्यकता हो तो उसके लिए युद्ध करना। और हमेशा अपनी ऊंची-से-ऊंची चेतना के द्वारा काम करना।
शूरता :

१. हमेशा सबसे अधिक सुन्दर और सबसे अधिक उत्कृष्ट कार्य करना ।
२. हमेशा अपनी चेतना की ऊंचाई से कार्य करना ।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)

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