एक ही शक्ति है,वह है माताजी की शक्ति-या अगर तुम इस तरह रखना चाहो कि-श्रीमाँ श्रीअरविंद की शक्ति है ।…
एक चीज़ जो महत्वपूर्ण है वह है - आन्तरिक मनोभाव को बनाये रखना और सभी बाहरी परिस्थितियों से मुक्त होकर…
न केवल अपनी आन्तरिक एकाग्रता में बल्कि अपनी बाह्य क्रियाओं व गतिविधियां में भी तुम्हें उचित मनोवृत्ति अपनानी चाहिये। यदि…
क्या आपके कार्य तथा श्रीमाँ के कार्य में कोई अन्तर है - मेरा मतलब है कि शक्ति की प्रभावकारिता में…
... दिव्य शक्ति न केवल प्रेरणा देती है और पथ प्रदर्शन करती है, बल्कि तुम्हारें सभी कर्मों का सूत्रपात करती…
श्रीमाँ का संपर्क सारे दिन और सारी रात भी बना रहता है । अगर तुम सारे दिन उनके साथ उचित…
श्रीमाँ की उपस्थिती हमेशा उपस्थित रहती है; लेकिन अगर तुम अपने ही भरोसे क्रिया करना चाहो-चीजों पर अपने ही विचार,…
हमेशा ऐसे जियो मानों तुम 'परम प्रभु' तथा 'भगवती माँ' की दृष्टि के सामने हो। ऐसी कोई क्रिया न करो,…
जो भौतिक रूप से श्रीमाँ के पास नहीं हो सकते, वे उसके लिए अभीप्सा तो करें, लेकिन उसे पाने के…