श्री माँ के वचन

चेतना की खिड़कियाँ

हमारी मानव चेतना में ऐसी खिड़कियाँ हैं जो शाश्वत में खुलती हैं । लेकिन मनुष्य साधारणत: इन खिड़कीयों को सावधानी…

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अनंत में डुबकी

अगर हम अपरिहार्य रूप से अपनी व्यक्तिगत चेतना की चारदीवारी में बंद होते तो यह सचमुच दु:खद और अभिभूत करने…

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बेचैनी

शायद मधुर माँ मुझसे किसी कारण नाराज हैं । में बेचैन हूँ ।  मैं बिलकुल नाराज नहीं हूँ। लेकिन कैसी…

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कुछ भी असंभव नहीं

... यदि तुम एक सामान्य व्यक्ति हो हो और यदि तुम कष्ट उठाओ और पद्धति से परिचित होओ तो, तुम्हारा…

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मन के वाद-विवाद

प्रश्न : मन मे वाद-विवाद को कैसे रोका जाये ?   पहली शर्त है जितना हों सके उतना कम बोलो…

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व्यवस्था और नियम

व्यवस्था हम अवश्य करें, किन्तु व्यवस्था या नियम बनाने और उसके पालन में भी हमें सदा इस सत्य पर दृढ़…

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अत्यावश्यक कर्तव्य

जीवन की कठिन घड़ियों में हर एक का अत्यावश्यक कर्तव्य है भगवान के प्रति समग्र, अप्रतिबंध आत्म निवेदन में अपने…

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ओह, बैचेन क्यों हुआ जाये

ओह, बेचैन क्यों हुआ जाये और यह चाह क्यों की जाये कि हमारे लिए वस्तुएँ अमुक दिशा ही अपनाएँ, कोई…

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अतिमानसिक शक्ति और चेतना के प्रति खुलना

जब तुम अपने हृदय और विचार में मेरे ओर श्रीअरविन्द के बीच कोई भेद न करोगे, जब अनिवार्य रूप से…

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