हर एक पहले अपने लिए जिम्मेदार है ; और अगर तुम औरों की सहायता करने की अभीप्सा रखते हो तो तुम जैसा होना चाहिये, उसका उदाहरण बन कर ही सबसे अधिक प्रभावकारी ढंग से उन्हें सहायता दे सकते हो।
और फिर भागवत कृपा तो हमेशा है ही जो अद्भुत रूप से उन सबके लिए प्रभावकारी है जो सच्चे और निष्कपट है ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)
यदि तुम घोर परिश्रम न करो तो तुम्हें ऊर्जा नहीं मिलती, क्योंकि उस स्थिति में…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
उनके लिये कुछ भी मुश्किल नहीं है जो भगवान को सच्चाई के साथ पुकारते हैं…
मधुर माँ , जब कोई नया आदमी आकर पूछें कि श्रीअरविंदआश्रम क्या हैं, तो हम…