श्री माँ के वचन

सचेतन संपर्क

हर उपस्थित व्यक्ति के साथ सचेतन संपर्क स्थापित कर लेने के बाद मैं 'परम प्रभु' के साथ एक हो जाती…

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मैं और मेरा पंथ

​मैं किसी राष्ट्र की, किसी सभ्यता की, किसी समाज की, किसी जाति की नहीं हूं, मैं भगवान् की हूं ।…

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कम बोलो

जितना कम हो सके उतना कम बोलो। जितना अधिक हो सके उतना अधिक काम करो । संदर्भ : माताजी के…

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दुःख झेलना जाना

यदि किसी समय तुम्हें कोई गभीर दुःख, दारुण संशय या तीव्र कष्ट अभिभूत और हताश कर रहा हो तो शान्ति…

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भागवत प्रेम

भागवत प्रेम को जल्दी प्रकट करने का सबसे अच्छा उपाय है, सत्य की विजय में सहायता देना। संदर्भ : माताजी…

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सच्चा आनंद

तुम जो कुछ करो उसमें मज़ा लेने की कोशिश करो । तुम जो कुछ करो उसमें तुम्हें रस हो तो…

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उच्चतम सत्य को जीना

सभी सिद्धान्त,  सभी शिक्षाएं अन्तिम विश्लेषण में बोलने या लिखने के तरीकों से बढ़कर और कुछ नहीं होती । यहा तक…

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भागवत कृपा की प्राप्ति

भागवत कृपा हमेशा रहती है, शाश्वत रूप से उपस्थित और सक्रिय; लेकिन श्रीअरविंद कहते हैं कि हमारे लिए उसे ग्रहण…

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सतत और निर्विकार उपस्थिती

भगवान सब जगह, सब चीजों में हैं, उन चीजों में भी जिन्हें हम फेंक देते हैं और उनमें भी जिन्हें…

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तेरी सेवा

गहरे और मौन निदीध्यासन या लिखित या अलिखित ध्यान की जगह हमें हर क्षण की क्रियाशीलता में तेरी सेवा करनी…

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