उदार हृदय हमेशा अपने पुराने दुर्व्यवहारों को भूल जाता है और दुबारा सामंजस्य लाने के लिए तैयार रहता है।

आओ, हम सब उसको भूल जायें जो अतीत में अंधकारमय और कुरूप रहा है, ताकि ज्योतिर्मय भविष्य को ग्रहण करने के लिए हम अपने-आपको तैयार कर सकें।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)

शेयर कीजिये

नए आलेख

निरुत्साहित मत हो

किसी कठिनाई के कारण बेचैन या निरुत्साहित मत होओ, बल्कि चुपचाप और सरल भाव से…

% दिन पहले

बीमारी में अस्वस्थ रुचि

अगर तुम बीमार पड़ते हो तो तुम्हारी बीमारी की इतनी व्याकुलता और भय से देख-रेख…

% दिन पहले

भूलों को ठीक करने का एकमात्र उपाय

भूतकाल के बारे में सोचते रहना बिलकुल गलत है । सच्ची विधि तो यह याद…

% दिन पहले

श्रीअरविंद और श्री माँ की और खुला होना

क्या यह हो सकता है कि एक व्यक्ति जो श्रीअरविंद की ओर खुला है, माँ…

% दिन पहले

पूर्णता और कर्म

अगर लोगों को पूर्ण होने की वजह से काम को बंद कर देना पड़े तो…

% दिन पहले

दूसरों की राय

जो दोषहीन है वह दूसरों की राय की परवाह नहीं करता । संदर्भ : माताजी…

% दिन पहले