उदार हृदय हमेशा अपने पुराने दुर्व्यवहारों को भूल जाता है और दुबारा सामंजस्य लाने के लिए तैयार रहता है।
आओ, हम सब उसको भूल जायें जो अतीत में अंधकारमय और कुरूप रहा है, ताकि ज्योतिर्मय भविष्य को ग्रहण करने के लिए हम अपने-आपको तैयार कर सकें।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)
किसी कठिनाई के कारण बेचैन या निरुत्साहित मत होओ, बल्कि चुपचाप और सरल भाव से…
अगर तुम बीमार पड़ते हो तो तुम्हारी बीमारी की इतनी व्याकुलता और भय से देख-रेख…
भूतकाल के बारे में सोचते रहना बिलकुल गलत है । सच्ची विधि तो यह याद…
क्या यह हो सकता है कि एक व्यक्ति जो श्रीअरविंद की ओर खुला है, माँ…