तुम औरों की मनोभावनाओं और सनको का अपने ऊपर असर नहीं पड़ने देते – यह बात बिलकुल ठीक है। तुम्हें इस सबसे ऊपर उठकर भगवान की सतत उपस्थिती, प्रेम और सुरक्षा का अनुभव करना चाहिये।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
यदि तुम घोर परिश्रम न करो तो तुम्हें ऊर्जा नहीं मिलती, क्योंकि उस स्थिति में…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
उनके लिये कुछ भी मुश्किल नहीं है जो भगवान को सच्चाई के साथ पुकारते हैं…
मधुर माँ , जब कोई नया आदमी आकर पूछें कि श्रीअरविंदआश्रम क्या हैं, तो हम…