श्री माँ के वचन

अवतार

सम्भ्वन की शाश्वतता में प्रत्येक अवतार एक अधिक पूर्ण सिद्धि का उद्घोषक और अग्रदूत होता है। फिर भी लोगों में…

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आंतरिक परिवर्तन

तुम्हें आंतरिक परिवर्तन के लिए निरंतर अभीप्सा करनी चाहिये, तुम्हारें अंदर यह इच्छा होनी चाहिये कि प्रकाश तुम्हारें अंधेरे भौतिक…

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अंतिम विजय की निश्चिति

'सत्य' मिथ्यात्व से बढ़ कर बलवान है। एक अमर 'शक्ति' जगत पर शासन करती है। उसके निश्चय हमेशा सफल होते…

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दास मनोवृत्ति

कुछ लोग है जो अपने पैरों पे खड़े रह सकते हैं। वे कोई चीज़ इसलिए करते हैं क्योंकि वे मानते…

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लालच

भौतिक सुख सुविधा, तथाकथित आवश्यकताओं और आरामों के बारे में - चाहे वे जिस तरह के क्यों न हों -…

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भागवत प्रेम

प्रेम केवल एक ही है - 'भागवत प्रेम' ; और उस 'प्रेम' के बिना कोई सृष्टि न होती। सब कुछ…

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मिथ्यात्व का नोटिस

अब अपनी प्राण-सत्ता के द्वार पर यह नोटिस लगा दो : 'अब यहाँ किसी मिथ्यात्व का आना माना है।' और…

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जीवन्त उदाहरण

यदि हम अपने जीवन्त उदाहरण के द्वारा अपनी सिखायी बातों का सत्य बच्चे को न दिखा दें तो केवल अच्छी…

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प्रयोजन क्या ?

कई बार काम करते हुए मैं सोचा करता हूं कि आखिर इसका प्रयोजन क्या है? कृपया बतलाइये कि काम करते…

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संतुष्ट रहो

तुम जितना पाते हो उससे संतुष्ट रहने की कोशिश करो-क्योंकि यह ग्रहणशीलता का मामला है-लोग जितना ग्रहण कर सकते हैं…

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