श्रीअरविंद के वचन

आत्मा के प्रवेश द्वार

यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब तुम्हें पथ और 'पथ-प्रदर्शक' दोनों…

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दो तरह के वातावरण

आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें अनुभूति पाने की कुछ क्षमता…

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जब मनुष्य अपने-आपको जान लेगा

.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई है, यह एक ऐसे बीहड़…

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दृढ़ और निरन्तर संकल्प पर्याप्त है

अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है। यह तो जानी हुई बात…

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अतिमानसिकरण की कोशिश

केवल अपने लिए अतिमानस को प्राप्त करना मेरा अभिप्राय बिलकुल नहीं है-मैं अपने लिए कुछ भी नहीं कर रहा; क्योंकि…

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निग्रह की मनोवृत्ति नहीं

यह बिलकुल सच है कि “हमारे साधना-मार्ग में बलपूर्वक दबाने की यानी निग्रह की मनोवृत्ति नहीं है"; मानसिक विधान या…

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काम के बीच रह कर साधना

तुम्हारे लिए यह बिलकुल सम्भव है कि तुम घर पर और अपने काम के बीच रह कर साधना करते रहो-बहुत-से…

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अपने आप को खोलो

सच्चाई के साथ अपने-आपको खोलो। इसका अर्थ यह है कि बिना अपने अन्दर कुछ भी छिपाये हुए, पूरी तरह खोलो;…

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प्रकृति की बैचेन अनिवार्यता

हमारी प्रकृति भ्रांति तथा क्रिया की बेचैन अनिवार्यता के आधार पर कार्य करती है, भगवान अथाह निश्चलता में मुक्त रूप…

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ध्यान का मतलब

तुम ध्यान किसे कहते हो? आखें बंद करके एकाग्र होने को? यह सच्ची चेतना को नीचे उतारने के तरीक़ों में…

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