श्रीअरविंद के वचन

अवतार की आवश्यकता

जब कोई विशेष कार्य करना होता है तब अवतार की आवश्यकता होती है। अवतार विशेष अभिव्यक्ति होते हैं जब कि…

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दिव्यीकरण

प्रकृति के जिस दिव्यीकरण की बात हम कर रहे हैं वह पूरी तरह से काया-पलट है - न केवल किसी…

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मन की संकीर्णता

मन की संकीर्णता से प्रेम करने का क्या तात्पर्य है? लोग संकीर्ण रहना पसन्द करते हैं; वे उनके अपने सीमित…

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श्रीअरविंद आश्रम की स्थापना का उद्देश्य

इस आश्रम की स्थापना का उद्देश्य वह नहीं हैं जो साधारणतया ऐसी संस्थाओं की स्थापना का हुआ करता है ।…

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दो संभावनाएँ

दो संभावनाएँ होती हैं, एक है व्यक्तिगत प्रयास के द्वारा शुद्धिकरण, जो लंबा समय लेता है; दूसरा है भागवत कृपा…

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एकांतवास

एकांतवास का प्रेम इस बात का लक्षण है कि तुममें ज्ञान कि खोज करने की प्रवृत्ति है; परंतु स्वयं ज्ञान…

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आत्मदान

भगवान के लिए सच्चा प्रेम है आत्मदान, यानी अपने-आपको पूर्ण रूप से दे देना । इस दान में कोई मांग…

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आश्रम के दो वातावरण

आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिसमें अनुभूति पाने की कुछ क्षमता…

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ठोकरें क्यों ?

मनुष्य-जीवन के अधिकांश भाग की कृत्रिमता ही उसकी अनेक बुद्धमूल व्याधियों का कारण है, वह न तो अपने प्रति सच्चा…

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समुचित मनोभाव

सब कुछ माताजी पर छोड़ देना, पूर्ण रूप से उन्ही पर भरोसा रखना और उन्हें लक्ष्य की ओर ले जाने…

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