बाहरी और भीतरी अनुशासन के बिना तुम जीवन में कुछ भी नहीं पा सकते, न तो आध्यात्मिक और न ही…
अगर तुम बीमार पड़ते हो तो तुम्हारी बीमारी की इतनी व्याकुलता और भय से देख-रेख की जाती है, तुम्हारी इतनी…
जब हम मानसिक प्रवुत्तियों में अथवा बुद्धि के व्यापारों में एकाग्र रहते हैं, तब कभी-कभी भगवान को क्यों भूल जाते…
अहंकार हमेशा यही सोचता रहता है कि वह क्या चाहता है और उसे क्या नहीं मिला - यही उसकी सतत…
...श्रीअरविंद के आशीर्वाद का आनन्द पाने के बाद, ज्यादा अच्छा यह है कि एकाग्र रहा जाये और औरों के साथ…
(एक शिष्य को श्रीमां का पत्र) मानव जीवन में सभी कठिनाइयों, सभी विसंगतियों, सभी नैतिक कष्टों का कारण है हर…
नियंत्रण के बिना कोई समुचित काम संभव नहीं है । नियंत्रण के बिना समुचित जीवन संभव नहीं है । और…
हर एक पहले अपने लिए जिम्मेदार है ; और अगर तुम औरों की सहायता करने की अभीप्सा रखते हो तो…
तुम्हें अपने अध्यवसाय में सच्चा होना चाहिये ; तब तुम आज जो चीजें नहीं कर सकती उन्हें नियमित और आग्रहपूर्ण…