स्थिरता और तमस में घपला मत करो। स्थिरता है, आत्म-संयत शक्ति, अचंचल और सचेतन ऊर्जा, आवेशों पर प्रभुत्व और अचेतन प्रतिक्रियाओं पर नियंत्रण। कार्य में स्थिरता निपुणता का मूल और पूर्णता की अनिवार्य शर्त है ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
यह बिलकुल सच है कि “हमारे साधना-मार्ग में बलपूर्वक दबाने की यानी निग्रह की मनोवृत्ति…
हमारी प्रकृति भ्रांति तथा क्रिया की बेचैन अनिवार्यता के आधार पर कार्य करती है, भगवान…
जब तक तुम अपने-आपको रूपांतरित करने और रूपांतरित न करने की इच्छा के बीच डुलते…