१. दूसरों पर नियन्त्रण रख सकने के लिए स्वयं अपने ऊपर पूर्ण नियन्त्रण पाना अनिवार्य शर्त है।
२. कोई पसन्द न होना, एक को पसन्द और दूसरे को नापसन्द न करना, हर एक के साथ समान होना।
३. हर एक के साथ धीरज रखना और सहिष्णु होना।
और साथ ही केवल वही बोलना जो एकदम अनिवार्य हो, उससे अधिक नहीं।
सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)*
... मैं सभी वस्तुओं में प्रवेश करती हूँ, प्रत्येक परमाणु के हृदय में निवास करते…
यदि तुम घोर परिश्रम न करो तो तुम्हें ऊर्जा नहीं मिलती, क्योंकि उस स्थिति में…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
उनके लिये कुछ भी मुश्किल नहीं है जो भगवान को सच्चाई के साथ पुकारते हैं…