श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

श्रीमाँ की प्रार्थना

हे सर्वसत्तासंपन्न सामर्थ्य, हे विजयी शक्ति, शुद्धि, सौन्दर्य, परम प्रेम, वर दे कि अपनी पूर्णता में यह सत्ता , अपनी समग्रता में यह शरीर गम्भीरता से ‘तेरे’ निकट खींचता जाये और सम्पूर्ण और विनम्र भाव से अभिव्यक्ति के इस साधन को ‘तेरे’ अर्पित कर दे जो साधन इस सिद्धि के लिए पूरी तरह तैयार तो नहीं हैं पर जिसे तेरी इच्छा पर पूरी तरह छोड़ दिया गया है … ।

इस शांत और प्रबल निश्चिति के साथ कि एक दिन ‘तू’ प्रत्याशित चमत्कार को कार्यान्वित करेगा और अपने परम वैभव को अपनी संपूर्णता में प्रकट करेगा, हम तेरी ओर गहरे उल्लास के साथ मुड़ते और मौन भाव से तुझे अनुनय करते है … ।

विशालता, अनन्तता, विस्मय … । केवल तू ही है और तू सभी चीजों में भव्यता से चमकता है। तेरी परिपूर्ति का समय निकट है । सारी प्रकृति गम्भीर एकाग्रता में अंतर्मुख है ।

‘तू’ उसकी तीव्र पुकार को उत्तर देता है ।

संदर्भ : प्रार्थना और ध्यान 

शेयर कीजिये

नए आलेख

प्रार्थना

(जो लोग भगवान की  सेवा  करना चाहते हैं  उनके लिये एक प्रार्थना ) तेरी जय…

% दिन पहले

आत्मा के प्रवेश द्वार

यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…

% दिन पहले

शारीरिक अव्यवस्था का सामना

जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…

% दिन पहले

दो तरह के वातावरण

आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…

% दिन पहले

जब मनुष्य अपने-आपको जान लेगा

.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…

% दिन पहले

दृढ़ और निरन्तर संकल्प पर्याप्त है

अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…

% दिन पहले