हमें वह वीर योद्धा बना जो बनने के लिए हम अभिप्सा करते हैं। वर दे कि हम डटे रहने का प्रयास करने वाले भूत के विरुद्ध, सफलतापूर्वक उस भविष्य का युद्ध लड़ सकें जो अभी जन्म लेने को है, ताकि नयी चीज़ें अभिव्यक्त हो सकें और हम उन्हें ग्रहण करने योग्य बनें ।
संदर्भ : शिक्षा के ऊपर
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…