… वर दे कि यह यंत्र तेरी सेवा करे और इस बात से सचेतन रहे कि यह एक यंत्र है और वर दे कि मेरी समस्त चेतना, तेरी चेतना में मिल कर सभी चीजों का तेरी दिव्य दृष्टि से ही अवलोकन करे।
हे प्रभों, प्रभों, वर दे कि तेरी परम शक्ति अभिव्यक्त हो; वर दे कि तेरा कार्य चरितार्थ हो तेरा सेवक पूरी तरह से तेरी सेवा के लिए ही समर्पित हो।
वर दे कि ‘अहं’ हमेशा के लिए गायब हो जाये, रह जाये केवल एक यंत्र।
संदर्भ : प्रार्थना और ध्यान
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…