हमारी बाहरी घटनाओं के कारण-बीज हमारे अन्तर में हैं,
और इस उद्देश्यहीन दैवनियति का भी है जो विधि के संयोगसम दिखती है,
हमारी बौद्धिकता से परे परिणामों का यह अम्बार,
उन सत्यों का मूक रेखांकन है जो अगोचर कार्य करते हैं:
परम-अज्ञेय के ये विधान द़ृश्य-सृष्टि की रचना करते हैं।
संदर्भ : “सावित्री”
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिसमें…
मनुष्य-जीवन के अधिकांश भाग की कृत्रिमता ही उसकी अनेक बुद्धमूल व्याधियों का कारण है, वह…
श्रीअरविंद हमसे कहते हैं कि सभी परिस्थितियों में प्रेम को विकीरत करते रहना ही देवत्व…