एक समर्थ महाप्राण अपनी आन्तरिक शक्तियों के साथ
हमारी इस बौनी लघुता को सहारा देता है
जिसे हम जीवन कह कर पुकारते हैं;
यह हमारे इस रेंगने पर दो शक्तिशाली पंख लगा सकता है ।
संदर्भ : सावित्री
... मैं सभी वस्तुओं में प्रवेश करती हूँ, प्रत्येक परमाणु के हृदय में निवास करते…
यदि तुम घोर परिश्रम न करो तो तुम्हें ऊर्जा नहीं मिलती, क्योंकि उस स्थिति में…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
उनके लिये कुछ भी मुश्किल नहीं है जो भगवान को सच्चाई के साथ पुकारते हैं…