उन घड़ियों में जब अन्तर के प्रकाश दीप जल उठते हैं
और इस जीवन के प्राणप्रिय अतिथि बाहर छूट जाते हैं,
हमारी चैत्य-सत्ता एकाकी बैठ निज गर्तों से सम्पर्क करती है।
संदर्भ : “सावित्री”
अगर तुम्हारी श्रद्धा दिनादिन दृढ़तर होती जा रही है तो निस्सन्देह तुम अपनी साधना में…
"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…