… भागवत मुहूर्त में धो डालो अपनी आत्मा की समस्त आत्म-प्रवञ्चना, पाखण्ड तथा दम्भभरी आत्म-चाटुकारिता को, ताकि तुम सीधे अपनी आत्मा में देख सको और उसकी आवाज सुन सको। प्रकृति की सारी कुटिलता, जो कभी प्रभु की नजर से तथा आदर्श की ज्योति से रक्षा करती थी, अब तुम्हारे कवच में दरार बन जायेगी और आघात को निमन्त्रित करेगी। यदि तुम क्षण भर के लिए विजय प्राप्त कर भी लो तो यह तुम्हारे लिए और भी बुरा होगा क्योंकि आघात बाद में आयेगा और तुम्हारी विजय के बावजूद, तुम्हें धराशायी कर देगा। किन्तु शुद्ध होकर समस्त भय को झाड़ फेंको; क्योंकि यह मुहूर्त प्रायः भयानक होता है, एक अग्नि और एक चक्रवात तथा एक तूफान, भागवत क्रोध की कोल्हू-चक्की। किन्तु जो अपने प्रयोजन के सत्य पर दृढ़ रह सकता है वही अटल खड़ा रहेगा। यदि वह गिर भी पड़ेगा, वह फिर उठेगा, यद्यपि हवा के पंखों पर वह गुजरता मालूम पड़ेगा, पर वह लौट आयेगा। अपने कानों में सांसारिक बुद्धिमानी को फुसफुसाने मत दो, क्योंकि यह अप्रत्याशित, गणनातीत तथा अपरिमेय की घड़ी है। भागवत श्वास की शक्ति को अपने तुच्छ उपकरणों से मापो नहीं, वरन् श्रद्धा रखो तथा आगे बढ़ो।

किन्तु अपनी आत्मा को अहंकार के कोलाहल से क्षण भर के लिए भी क्यों न हो, सर्वाधिक अमल रखो। तब तुम्हारे सम्मुख रात्रि में एक अग्नि कूच करेगी और तुफान तम्हारा सहायक बनेगा तथा महानता को सवोच्च ऊंचाई पर, जिस पर तम्हें विजय पानी है, तुम्हारी ध्वजा लहरायेगी।

संदर्भ : श्रीअरविंद (खण्ड-१२)

शेयर कीजिये

नए आलेख

देवत्‍व का लक्षण

श्रीअरविंद हमसे कहते हैं कि सभी परिस्थितियों में प्रेम को विकीरत करते रहना ही देवत्व…

% दिन पहले

भगवान की इच्छा

तुम्हें बस शान्त-स्थिर और अपने पथ का अनुसरण करने में दृढ़ बनें रहना है और…

% दिन पहले

गुप्त अभिप्राय

... सामान्य व्यक्ति में ऐसी बहुत-से चीज़ें रहती हैं, जिनके बारे में वह सचेतन नहीं…

% दिन पहले

मुझसे क्या चाहते हैं ?

भगवान मुझसे क्या चाहते हैं ? वे चाहते हैं कि पहले तुम अपने-आपको पा लो,…

% दिन पहले

सूर्यालोकित पथ

सूर्यालोकित पथ का ऐसे लोग ही अनुसरण कर सकते हैं जिनमें समर्पण की साधना करने…

% दिन पहले

तुम्हारा भविष्य

एक चीज़ के बारे में तुम निश्चित हो सकते हो - तुम्हारा भविष्य तुम्हारें ही…

% दिन पहले