श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

भय को उठा फेंको

प्यारी माताजी,

मुझे सर्दी हो गयी है, क्या मैं रोज़ की तरह स्नान करूँ ?

जो तुम्हें पसंद हो करो, इसका बहुत महत्व नहीं है; लेकिन जो चीज़ महत्वपूर्ण है वह है भय को उठा फेंकना । भय ही तुम्हें बीमार करता है और भय के कारण ही रोगमुक्त होना इतना कठिन होता है । समस्त भय को जीतना चाहिये और उसके स्थान पर भागवत कृपा पर पूर्ण विश्वास को लाना चाहिये।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)

शेयर कीजिये

नए आलेख

रूपांतर का मार्ग

भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…

% दिन पहले

सच्चा ध्यान

सच्चा ध्यान क्या है ? वह भागवत उपस्थिती पर संकल्प के साथ सक्रिय रूप से…

% दिन पहले

भगवान से दूरी ?

स्वयं मुझे यह अनुभव है कि तुम शारीरिक रूप से, अपने हाथों से काम करते…

% दिन पहले

कार्य के प्रति मनोभाव

अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…

% दिन पहले

चेतना का परिवर्तन

मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…

% दिन पहले

जीवन उत्सव

यदि सचमुच में हम, ठीक से जान सकें जीवन के उत्सव के हर विवरण को,…

% दिन पहले