मैं रामायण – महाभारत की कहानियों और तुलसी, कबीर, मीरा आदि के गीतों पर बहुत ज़ोर देता हूँ। क्या इन प्राचीन चीजों को जारी रखना आपके मार्ग के विपरीत है ?
हर्गिज नहीं – महत्व मनोवृत्ति का है। भूत को भविष्य की ओर उछलने का तख़्ता होना चाहिये, प्रगति को रोकने वाली जंजीर नहीं। जैसा कि मैंने कहा है, सब कुछ भूतकाल कीओर तुम्हारी मनोवृत्ति पर निर्भर करता है ।
संदर्भ : पथ पर
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…