कल मैंने लिखा था कि एक गंभीर स्थिरता है – लेकिन आज केवल एक गंभीर विक्षोभ है !
एक ही समय में सत्ता का एक भाग प्रकाश और आनंद में रहता है और दूसरा विक्षोभ और अंधकार में । अगर तुम अपना ध्यान विक्षोभ की ओर मोड दो तो तुम उसे महसूस करते हो, लेकिन अगर तुम अपना ध्यान प्रकाश और आनंद की तरफ मोड़ो तो तुम उनमें जीते हो।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…