श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

प्रकाश और आनंद में जीना

कल मैंने लिखा था कि एक गंभीर स्थिरता है – लेकिन आज केवल एक गंभीर विक्षोभ है !

एक ही समय में सत्ता का एक भाग प्रकाश और आनंद में रहता है और दूसरा विक्षोभ और अंधकार में । अगर तुम अपना ध्यान विक्षोभ की ओर मोड दो तो तुम उसे महसूस करते हो, लेकिन अगर तुम अपना ध्यान प्रकाश और आनंद की तरफ मोड़ो तो तुम उनमें जीते हो।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)

 

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवान के दो रूप

... हमारे कहने का यह अभिप्राय है कि संग्राम और विनाश ही जीवन के अथ…

% दिन पहले

भगवान की बातें

जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…

% दिन पहले

शांति के साथ

हमारा मार्ग बहुत लम्बा है और यह अनिवार्य है कि अपने-आपसे पग-पग पर यह पूछे…

% दिन पहले

यथार्थ साधन

भौतिक जगत में, हमें जो स्थान पाना है उसके अनुसार हमारे जीवन और कार्य के…

% दिन पहले

कौन योग्य, कौन अयोग्य

‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…

% दिन पहले

सच्चा आराम

सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…

% दिन पहले