यदि कोई चीज़ कठिन है तो इसका यह मतलब नहीं है कि तुम्हें उसे छोड़ देना चाहिये। इसके विपरीत, चीज़ जितनी कठिन हो उससे ज़्यादा उसे सफलता के साथ पूरा करने का संकल्प तुम्हारें अंदर होना चाहिये।
सभी चीज़ों में सबसे कठिन है भागवत चेतना को जड़ भौतिक जगत में उतार लाना। तो क्या इस कारण प्रयास छोड़ देना चाहिये ?
हमारा मार्ग बहुत लम्बा है और अनिवार्य है कि अपने-आपसे पग-पग पर यह पूछे बिना कि हम आगे बढ़ रहे हैं या नहीं, शांति के साथ आगे बढ़ा जाये।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…