कुछ लोगों को प्रार्थना पसन्द नहीं ; अगर वे अपने हृदय की गहराई में जायें तो देखेंगे कि यह घमण्ड है – उससे भी बढ़ कर, मिथ्या अभिमान है। और फिर ऐसे लोग है जिनमें कोई अभीप्सा नहीं होती। वे कोशिश करते हैं फिर भी अभीप्सा नहीं कर सकते । यह इसलिए क्योंकि उनके अन्दर संकल्प की ज्वाला नहीं होतीं , यह इसलिए कि उनमें नम्रता की ज्वाला नहीं होती।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड -५)
अगर तुम्हारी श्रद्धा दिनादिन दृढ़तर होती जा रही है तो निस्सन्देह तुम अपनी साधना में…
"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…