जो होना चाहिये वह होगा, जो करना ज़रूरी है वह किया जायेगा…।
हे प्रभो, तूने मेरी सत्ता में कैसा निश्चल आश्वासन रख दिया है। कौन-से जीव या क्या चीजें तुझे अभिव्यक्त करेंगी? अभी कौन कह सकता
है?… उन सभी चीज़ों में जो नयी, सदा उच्चतर और पूर्णतर अभिव्यक्ति के लिए प्रयास करती हैं, तू उपस्थित है। लेकिन प्रकाश का केन्द्र अभी
तक प्रकट नहीं हुआ है क्योंकि अभिव्यक्ति का केन्द्र अभी तक अनुकूलित नहीं हुआ है।
हे दिव्य स्वामी, जो होना है वह होगा और शायद वह उससे बहुत भिन्न होगा जिसकी सब आशा करते हैं…।
लेकिन कुछ विशेष नीरव रहस्यों को प्रकट करना कैसे सम्भव हो सकता है?
शक्ति उपस्थित है; उसी में आत्मा है।
कब और कैसे यह शक्ति उछल पड़ेगी? जब तू यन्त्र को तैयार पायेगा।
कैसा मधुर है तेरा अचञ्चल आश्वासन, तेरी शान्ति की शक्ति!…
संदर्भ : प्रार्थना और ध्यान
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…