श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

तेरा आश्वासन

मेरे हृदय की निश्चलता में तेरी आवाज़ सुरीले राग की तरह सुनायी देती है और मेरे मस्तिष्क में ऐसे शब्दों में अनूदित होती है जो अपर्याप्त होते हुए भी तुझसे ओतप्रोत हैं। और ये शब्द पृथ्वी को सम्बोधित करते हुए उससे कहते हैं :-बेचारी दुःखी पृथ्वी, याद रख कि मैं तेरे अन्दर विराजमान हूँ और आशा न छोड़। हर प्रयास, हर दुःख, हर खुशी, हर पीड़ा, तेरे हृदय की प्रत्येक पुकार, तेरी अन्तरात्मा की हर अभीप्सा, तेरी ऋतुओं का हर पुनर्नवीकरण, सब के सब, बिना अपवाद के, जो तुझे दुःखपूर्ण लगता है और जो तुझे सुखद मालूम होता है, जो तुझे कुरूप लगता है और जो तुझे सुन्दर मालूम होता है, सभी तुझे निरपवाद रूप से मेरी ओर लाते हैं और मैं अनन्त ‘शान्ति’, छायाहीन ‘प्रकाश’, पूर्ण ‘सामञ्जस्य’, ‘निश्चिति’, ‘विश्राम’ और परम धन्यता’ हूँ।

सुन, हे धरित्री, उस उत्कृष्ट वाणी को सुन जो उठ रही है।

सुन और नया साहस जगा!

संदर्भ : प्रार्थना और ध्यान 

शेयर कीजिये

नए आलेख

उदार विचार

मैंने अभी कहा था कि हम अपने बारे में बड़े उदार विचार रखते हैं और…

% दिन पहले

शुद्धि मुक्ति की शर्त है

शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…

% दिन पहले

श्रीअरविंद का प्रकाश

मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…

% दिन पहले

भक्तिमार्ग का प्रथम पग

...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…

% दिन पहले

क्या होगा

एक परम चेतना है जो अभिव्यक्ति पर शासन करती हैं। निश्चय ही उसकी बुद्धि हमारी…

% दिन पहले

प्रगति का अंदाज़

मधुर मां, हम यह कैसे जान सकते हैं कि हम व्यक्तिगत और सामुदायिक रूप में…

% दिन पहले