यह समझो कि तुम्हारा जीवन तुम्हें केवल भागवत कर्म के लिए और भागवत अभिव्यक्ति में सहायता देने के लिए दिया गया है। पवित्रता, शक्ति, प्रकाश, विशालता , निश्चलता, दिव्य चेतना के आनंद के अतिरिक्त अन्य किसी भी चीज़ की कामना न करो तथा इस बात पर आग्रह करो कि वह चेतना तुम्हारें मन, प्राण तथा शरीर को रूपांतरित करें और उन्हें पूर्ण बनाये।
संदर्भ : मानव चेतना के आधार
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…