क्रोध में कभी कोई समझदारी की बात नहीं की जाती, सिर्फ मूर्खता ही निकलती है ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग -२)
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…