क्रोध में कभी कोई समझदारी की बात नहीं की जाती, सिर्फ मूर्खता ही निकलती है ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग -२)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…