भगवान हमेशा हर सच्ची अभीप्सा का उत्तर देते है और उन्हें पूरे हृदय के साथ जो कुछ दिया जाये उसे लेने से कभी इन्कार नहीं करते । इस तरह तुम इस निश्चिति की शांति में रह सकते हो कि तुम्हें भगवान ने स्वीकार कर लिया हैं।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…