आराम करना


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

जैसे ही तुम सन्तुष्ट हो जाते हो और किसी चीज के लिए अभीप्सा नहीं करते, तुम मरना शुरू कर देते हो। जीवन गति है, जीवन प्रयास है, वह आगे कूच कर रहा है, भावी रहस्योद्घाटनों और उपलब्धियों की ओर चढ़ रहा है। आराम करना चाहने से बढ़कर खतरनाक कुछ नहीं है।

सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग -३)


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