हमारी प्रकृति भ्रांति तथा क्रिया की बेचैन अनिवार्यता के आधार पर कार्य करती है, भगवान अथाह निश्चलता में मुक्त रूप…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो जाती है वही से शुरू…
दूसरे धर्म अधिक प्रचलित रूप से श्रद्धा और व्रतदीक्षा के धर्म हैं, किन्तु 'सनातन धर्म' स्वयं जीवन है; यह एक…
योगी, सन्यासी, तपस्वी बनना यहाँ का उद्देश्य नहीं है। हमारा उद्देश्य है रूपांतर, और तुमसे अनन्तगुना बड़ी शक्ति के द्वारा…
सफ़ेद ज्योति श्रीमाँ की ज्योति है। जहां कहीं वह उतरती है या प्रवेश करती है वही वह शांति, पवित्रता, निश्चलता-नीरवता…
प्रगति धीमी हो सकती है, पतन बार-बार हो सकते हैं, परंतु यदि साहसपूर्ण संकल्प बनाये रखा जाये, तो यह निश्चित…
यह मैंने देख लिया है कि जो भगवान ने मुझे नहीं दिया है उसे उन्होने अपने प्रेम तथा ज्ञान के…
प्र) आध्यात्मिक पूर्णता में क्या विनोदप्रियता का कोई स्थान है ? उ) अगर कोई सिद्ध कभी नहीं हँसता तो वह…
"श्रद्धा के साथ जो कोई भक्त मेरे जिस किसी रूप को पूजन चाहता है, मैं उसकी वही श्रद्धा उसमें अचल-अटल…
यहाँ पर कुछ लोग आपको माताजी से महानतर क्यों मानते हैं ? क्या आप दोनों समान स्तर से नहीं हैं…