मानव का जीवन एक दीर्घ धूमिल मन्द तैयारी है, कठिन श्रम और आशा एवं युद्ध-शान्ति का घूमता क्रम है। जिसे…
एक समर्थ महाप्राण अपनी आन्तरिक शक्तियों के साथ हमारी इस बौनी लघुता को सहारा देता है जिसे हम जीवन कह…
युग बदलते हैं और परिस्थितियों में परिवर्तन के साथ नए आदर्शों और नए मंत्रों की आवश्यकता होती है। प्रभु पुनः…
जो मन की पहुँच से अति परे है मैं वह परम गुह्यता हूं, सूर्यों की श्रमसाध्य परिक्रमाओं की मैं लक्ष्य…
संकुचित अनुभव की एक संकीर्ण झालर सम इस जीवन को जो हमारी बांट में आया है, पीछे छोड़ देते हैं,…
मन जिसे जानता नहीं था ऐसे सत्य ने अपना मुख प्रकटा दिया तब हम वह श्रवण कर सकते हैं, जो…
वर्तमान में हम जो देख पाते हैं वह आने वाली भावी की एक छाया मात्र है। संदर्भ : "सावित्री"
हमारे अन्तर में एक आकारहीन स्मृति अभी तक चिपकी है औ’ कभी-कभी, जब हमारी द़ृष्टि अन्तर्मुखी होती है, पार्थिवता का…
उन घड़ियों में जब अन्तर के प्रकाश दीप जल उठते हैं और इस जीवन के प्राणप्रिय अतिथि बाहर छूट जाते…