श्रीमातृवाणी खण्ड-१७

उदाहरण बनो

हर एक पहले अपने लिए जिम्मेदार है ; और अगर तुम औरों की सहायता करने की अभीप्सा रखते हो तो…

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अध्यवसाय में सच्चे बनों

तुम्हें अपने अध्यवसाय में सच्चा होना चाहिये ; तब तुम आज जो चीजें नहीं कर सकती उन्हें नियमित और आग्रहपूर्ण…

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भूलों पर सोच विचार

अपनी अशुद्धियों के बारें में बहुत अधिक सोचते रहने से सहायता नहीं मिलती। अच्छा तो यही है कि अपने मन…

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संगठन की आवश्यक शर्तें

कोई संगठन ठीक तरीके से चलें इसके लिए आवश्यक शर्तें है कि एक स्पष्ट और यथार्थ दृष्टि हो कि क्या…

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स्थिरता

प्र) मैं अपने चारों तरफ बादल ही बादल देख रहा हूँ जो मुझ तक आपके प्रकाश को आने नहीं दे…

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प्रेम करने का अर्थ

जब तुम अपना प्रेम किसी और मनुष्य को देते हो तो प्राय: पहली भूल यह होती है कि तुम उस…

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अनंत में डुबकी

अगर हम अपरिहार्य रूप से अपनी व्यक्तिगत चेतना की चारदीवारी में बंद होते तो यह सचमुच दु:खद और अभिभूत करने…

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व्यवस्था और नियम

व्यवस्था हम अवश्य करें, किन्तु व्यवस्था या नियम बनाने और उसके पालन में भी हमें सदा इस सत्य पर दृढ़…

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श्रद्धा का परम कर्म

ठीक उस समय जब हर चीज़ बद-से-बदतर होती हुई मालूम होती है, उसी समय हमें श्रद्धा का परम कर्म करना…

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प्रकाश की ओर मुड़ो

कल मैने लिखा था कि एक गंभीर स्थिरता है लेकिन आज केवल एक गंभीर विक्षोभ है !   एक ही…

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