श्री माँ के वचन

परम चेतना

एक परम चेतना है जो अभिव्यक्ति पर शासन करती है। निश्चय ही उसकी बुद्धि हमारी बुद्धि से बहुत महान है।…

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प्राण की अच्छी चीज़ें

मधुर माँ, क्या हमारा प्राण केवल कामनाओं, स्वार्थपूर्ण भावनाओं आदि से ही बना है उसमें कुछ अच्छी चीज़ें भी हैं?…

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सावधानी

मैं सदा अधिक सावधान रहने की कोशिश करता हूँ, लेकिन मेरे हाथ से चीज़ें ख़राब हो जाती हैं । हाँ,…

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प्रतिज्ञाओं की तीव्रता

मधुर माँ, मैं जो प्रतिज्ञाएँ करता हूँ वे अपनी तीव्रता और उत्साह कुछ ही समय बाद खो बैठती हैं। मैं…

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श्रद्धा और भरोसा

श्रद्धा भरोसे से अधिक, कहीं अधिक पूर्ण है। देखो, तुम्हें भगवान पर भरोसा है, इस अर्थ में कि तुम्हें अधिक…

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कठिनाइयों का कारण

मनुष्यों की जो अधिकतर कठिनाइयाँ होती हैं उनका कारण होता है, उनका अपनी क्रियाओं पर और दूसरों की क्रियाओं पर…

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श्रद्धा की तीव्रता

तुम्हारी श्रद्धा की तीव्रता का यह अर्थ हो सकता है कि भगवान ने यह पहले से ही निधारित कर रखा…

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बीमारी एक मिथ्यात्व है

जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये, तुम्हें उसका सामना साहस, शांति,…

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अहंकार

जब पहले मानवजाति की रचना हुई तो अहंकार एक करने वाला उपकरण था। सत्ता की विभिन्न अवस्थाएं अहं के चारों…

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सहायता

सहायता के लिये श्रीअरविंद को पुकारो और सब कुछ ठीक हो जायेगा। संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)

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